जलवायु -
हमारी धरती अपने सौरमंडल के सभी ग्रहों में सर्वोच्च है क्योकि यहाँ का वायुमंडल जीवों के रहने के लिए एक जन्नत बना देता है, सभी जीवो को रहने के लायक ऑक्सीजन यहाँ भरपूर मात्रा में मिल जाती है और पानी तो जीवन है ही।
पृथ्वी का 75 प्रतिशत भाग पानी के अथाह सागरो ( महासागर ) ने घेर रखा है और बाकि इलाका मनुष्य ने ।
यहाँ बीच में मज़ाक भी चलता है , तो स्थलीय भाग 25 % के आसपास ही रहता है। तो धरती का तापमान पवनों के प्रवाह से कण्ट्रोल रहता है और ये पवन कैसे बहती है आइये जानते है।
अ. समुन्द्री पवन ब. स्थलीय पवन
समुंदरी पवन ( समुद्री हवा ) -
ये दो हवाये है जो धरती का तापमान संतुलित बनाये रखती है। वैसे तो आप जानते हैं कि सूर्य देवता के तापमान के कारण धरती गर्म होती है और यह समुंद्र और स्थल दोनों गरम होते हैं स्थल के ऊपर की पवन अधिक गर्म होती है और वह ऊपर की ओर पलायन करती हैं तो स्थल के नीचे के नीचे के क्षेत्र में पवन का दाब कम हो जाता है और यह निम्न दाब का क्षेत्र बन जाता है( दिन में तटीय इलाको में ) और वही समुन्दर के ऊपर की वायु शीतल होती है और यहाँ पर अधिक दाब का क्षेत्र बन जाने के कारण एक प्रवाह बन जाता है जो समुन्दर से स्थल की और होता है पवनों के इस प्रवाह को समुन्द्री पवने कहते है।
स्थलीय पवन ( तटीय हवा ) -
वही रात्रि में जब सूर्यदेव अस्त होते है तब धरती उतनी ही तेज़ी से ठंडी हो जाती है वहीँ समुंदर उतना जल्दी ठंडा नही हो पाता तब उसके ऊपर की वायु का प्रवाह गर्म होने के कारण ऊपर की ओर उठने लगती है और समुंदर के ऊपर कम दाब (वायुदाब) का क्षेत्र बन उठता है और स्थलीय (तटीय )क्षेत्र के ऊपर अधिक दाब का क्षेत्र होने के कारण वायु का परवाह उच्च दाब से निम्न दाब की और होता है और यह प्रवाह स्थलीय पवन प्रवाह होता है।
और यही दोनों परवाह होने के कारण धरती का तापमान नियंत्रित रहता है और दोनों एक दूसरे को संतुलित बनाये रखते है।
तो दोस्तों यह पवनों की जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और मैं सोचता हूं आपको यह लेख पसंद आया होगा अगर आपको यह पसंद आया हो तो आप लोग को फॉलो कर सकते हो ,और सुझाव आप कमेंट में दे सकते है।
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